शाहीन बागः एक मंच पर आए सभी धर्म गुरु, हवन यज्ञ में सीएए-एनआरसी लिखे पर्चों को दी गई आहुति

नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के विरोध में बीते 54 दिनों से शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन के दौरान बृहस्पतिवार को जश्न-ए-एकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि चुनाव के दौरान सियासी पार्टियां चंद वोटों के लिए भाईचारे को दांव पर लगा रही है।" alt="" aria-hidden="true" />


उसी भाईचारे और सौहार्द को कायम रखने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान सभी धर्मों के गुरुओं ने मंच पर एक साथ प्रार्थना कर अमन-चैन की दुआएं मांगीं। कार्यक्रम के दौरान ही हवन यज्ञ का आयोजन भी किया गया। जिसमें सभी ने सीएए, एनआरसी और एनपीआर लिखे पर्चों की आहुति दी।


" alt="" aria-hidden="true" />कार्यक्रम के दौरान लोगों ने भाईचारा बनाए रखने की शपथ भी ली। कार्यक्रम में मौजूद मोहम्मद आसिफ ने बताया कि बृहस्पतिवार दोपहर को शाहीन बाग का माहौल कुछ और ही था। जश्न-ए-एकता कार्यक्रम के आह्वान पर सभी धर्मगुरु कार्यक्रम में पहुंच गए। सभी ने अपनी-अपनी धार्मिक मान्यताओं के हिसाब से पूजा अर्चना की। सबसे पहले सिख समुदाय के लोगों ने मंच पर गुरुबाणी का पाठ किया।      
इसके बाद फादर एलेक्जेंडर फ्लीमिंग ने यीशु का संदेश पढ़कर लोगों को सुनाया। कई पुजारियों ने एक साथ मंत्रोच्चारण किया। शाम के समय प्रदर्शन स्थल पर ही नमाज पढ़ने के अलावा कुरान के पाठ का आयोजन किया गया। पंजाब से आए कई सिख लोगों ने मुस्लिम समुदाय के लोगों को पगड़ी पहनाकर उनका सम्मान किया। इसी दौरान कुछ पुजारियों ने मुस्लिम महिलाओं को कलावा पहनाया।    
जश्न-ए-एकता कार्यक्रम में आई महिला पूजा ने बताया कि जिस तरह शाहीन बाग और जामिया में गोली चली। इसके अलावा बुधवार को एक महिला बुर्का पहनकर वहां स्टिंग करने आई, उससे लगता है कि कुछ लोग शांतिपूर्वक प्रदर्शन को सांप्रदायिक रंग देकर बलवा करवाना चाहते हैं। जश्न-ए-एकता कार्यक्रम ऐसी ताकतों को जवाब देने के लिए ही आयोजित किया गया था। सदियों से हम सब साथ-साथ रहते आए हैं। केंद्र सरकार को इस सीएए पर दोबारा विचार करना चाहिए।" alt="" aria-hidden="true" />